Pariksha Pe Charcha 2025: परीक्षा के दौरान तनाव से निपटने और शिक्षा के सही मायने समझाने के लिए परीक्षा पे चर्चा 2025 के चौथे एपिसोड में आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु शामिल हुए।
सद्गुरु एक जाने-माने योगी, दिव्यदर्शी, लेखक, कवि और प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय वक्ता हैं।
अपने अनुभवों और जीवन दर्शन के माध्यम से उन्होंने छात्रों को परीक्षा के दबाव से निपटने और शिक्षा की वास्तविक परिभाषा को समझने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा केवल परीक्षा तक सीमित नहीं
सद्गुरु ने इस चर्चा के दौरान यह महत्वपूर्ण संदेश दिया कि शिक्षा सिर्फ परीक्षा देने तक सीमित नहीं है।
यह जीवन को सही ढंग से जीने का एक तरीका है।
उन्होंने कहा कि अपनी बुद्धि को हमेशा सक्रिय रखें और चीजों को केवल याद करने की बजाय उनके पीछे छिपे विज्ञान को समझने का प्रयास करें।
उन्होंने छात्रों को यह भी बताया कि शिक्षा का मूल उद्देश्य मस्तिष्क का विकास करना और जीवन की आवश्यक समझ को बढ़ाना होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि आप जितना अपनी बुद्धिमत्ता को जागरूक और सक्रिय रखेंगे, आपका मस्तिष्क उतना ही बेहतर तरीके से कार्य करेगा।
परीक्षा केवल किताबी ज्ञान का मूल्यांकन नहीं करती बल्कि जीवन में आगे बढ़ने के मूलभूत कौशल भी सिखाती है।
बोर्ड परीक्षा के तनाव को कैसे कम करें?
परीक्षा के दौरान बढ़ते तनाव को लेकर सद्गुरु ने छात्रों को उपयोगी सलाह दी।
उन्होंने कहा कि पाठ्यपुस्तकों को बोझ समझने के बजाय उन्हें मजेदार और दिलचस्प बनाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि परीक्षा का कठिन होना या आसान होना इस बात पर निर्भर करता है कि छात्र उसे किस तरह से लेते हैं।
अगर वे इसे केवल अंक प्राप्त करने के लिए एक कठिन कार्य मानते हैं, तो यह तनावपूर्ण लग सकता है।
लेकिन अगर वे इसे एक रोमांचक यात्रा के रूप में देखते हैं, तो यह अधिक आनंददायक हो सकता है।
किताबों को रोचक और सहज बनाएं
सद्गुरु ने अपने बचपन का एक दिलचस्प अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि जब उनकी बोर्ड परीक्षा में केवल 15 दिन शेष थे, तब वे परीक्षा के प्रवेश पत्र (हॉल टिकट) लेने के बजाय आम खाने चले गए। क्योंकि उन्हें आम बहुत पसंद थे। जब उनके स्कूल के प्रधानाध्यापक ने उनसे पूछा कि उन्होंने अभी तक अपना हॉल टिकट क्यों नहीं लिया, तो उन्होंने जवाब दिया, "परीक्षा साल में दो बार आती है, लेकिन आम का मौसम केवल एक बार आता है!"
इस अनुभव के जरिए उन्होंने छात्रों को यह सिखाया कि परीक्षा को लेकर बेवजह का तनाव लेना आवश्यक नहीं है। किताबें कोई चुनौती नहीं हैं, बल्कि वे ज्ञान अर्जन का साधन हैं। इसलिए पढ़ाई को रोचक और सहज बनाना चाहिए।
उन्होंने यह भी समझाया कि जीवन में बुद्धिमत्ता का सही उपयोग करना जरूरी है। केवल किताबी ज्ञान ही सब कुछ नहीं है, बल्कि उसे जीवन में कैसे लागू किया जाए, यह अधिक महत्वपूर्ण है। अगर छात्र इस सोच के साथ परीक्षा की तैयारी करेंगे, तो वे तनावमुक्त रहकर बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे और शिक्षा का वास्तविक आनंद भी ले सकेंगे।