Biography Of Birsa Munda, बिरसा मुंडा के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Wed, 06 Dec 2023 05:56 PM IST

Highlights

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 में रांची के झारखंड में हुआ था।

Source: safalta

Biography Of Birsa Munda : भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जाने वाले बिरसा मुंडा, मुंडा जाति से संबंधित हैं। इन्होंने अंग्रेज शासकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी एवं मुंडा आदिवासियों के हित की रक्षा की थी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में बिरसा मुंडा का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज के इस लेख में हम आपको बिरसा मुंडा के संपूर्ण जीवन परिचय के बारे में बताएंगे- अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  

 बिरसा मुंडा के प्रारंभिक जीवन के बारे में 

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 में रांची के झारखंड में हुआ था। बिरसा मुंडा एक आदिवासी नेता एवं लोक नायक के रूप में जाने जाते थे। मुंडा जाति से संबंध रखने के कारण उन्हें बिरसा मुंडा कहा जाता था। 
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 बिरसा मुंडा के शिक्षा के बारे में 

बिरसा के पिता सुगना मुंडा धर्म प्रचारकों के सहयोगी थे, जिसके कारण से वे भी धीरे-धीरे धर्म प्रचारक के रूप में सामने उभर कर आए, बिरसा मुंडा ने अपने शुरुआती पढ़ाई जर्मन मिशन स्कूल चाईबासा से कि, यहां पर स्कूलों में धर्म का मजाक उड़ाने के कारण से इन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। 
 
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 बिरसा मुंडा के योगदान के बारे में 

बरसा मुंडा के द्वारा अनुयायियों को संगठित कर उन्हें दो दल बनाए थे जिसमें से एक दल उनके धर्म के प्रचार के लिए था और दूसरा राजनीतिक कार्य करने के लिए  अपॉइंट किया गया था। किसानों के शोषण को रोकने के लिए जमींदारों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी, भीड़ इकट्ठा होने के कारण बिरसा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन गांव वालों ने उन्हें वापस छुड़वा लिया था जिसके बाद उनको दोबारा गिरफ्तार किया गया और हजारीबाग के जेल में बंद किया गया जहां वे एक करीब 2 साल तक कैद रहे। आनंद पांडे से मिलने के बाद उन्होंने हिंदू धर्म और महाभारत के कई पात्रों के बारे में शिक्षा ली। 1985 में कुछ ऐसी अनोखी घटना हुई थी जिसके कारण इन्हें भगवान का अवतार माना गया। लोगों का इन पर इतना विश्वास हो गया था कि बिरसा के स्पर्श से ही शरीर के सभी रोग दूर होने लगे थे जिसके कारण से उन्हें भगवान बिरसा कहा जाने लगा। 
 
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 बिरसा मुंडा के निधन के बारे में 

24 दिसंबर 1899 में शुरू हुए आंदोलनों से तीर के माध्यम से पुलिस थाने पर हमला किया था और वहां आग लगा दी थी। सेना के साथ उनकी सीधी मुठभेड़ हुई थी, जिसके कारण से गोली लगने पर बिरसा मुंडा के बहुत से साथ ही मारे गए और मुंडा जाति के दो व्यक्तियों ने धन के लालच में आकर बिरसा मुंडा को गिरफ्तार करवा दिया था। जहां 9 जून1900 में बिरसा मुंडा की मृत्यु हो गई, कुछ लोगों का मानना है कि बिरसा मुंडा को जहर दिया गया था लेकिन कुछ लोग का कहना है कि उनकी मौत हैजा के चलते हुई थी।


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