बाल विकास के विविध आयाम [Different Dimension of Child Development]
विकास शब्द व्यापक है इसमें मात्रात्मक व गुणात्मक दोनों प्रकार के परिवर्तन शामिल है। अर्थात वह व्यक्ति के संपूर्ण विकास से संबंधित है।
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बाल मनोविज्ञान में बालक के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, किंतु विकास के अंर्तगत उन सभी तथ्यों तथा घटकों का अध्ययन किया जाता जो बालक के व्यवहार को निश्चित स्वरूप प्रदान करते है। आरंभ में बालो मनोविज्ञान के अंतर्गत शिशुओं तथा बालकों की समस्याओं के प्रथक प्रथक अध्ययन किए गए। लेकिन इसमें अध्ययन को पूर्णता नहीं मिली। शिशु शब्द का इस्तेमाल एक व्यंपक श्रेणी के रूप में करते है जिसमें जन्म से तीन वर्ष तक की उम्र के बच्चे शामिल होते है। यह एक तार्किक निर्णय है, क्योंकि शिशु शब्द लैटिन उत्पति उन बच्चों को संदर्भित करती है जो बोलने में असमर्थ होते हैं।
बाल विकास मनुष्य के जन्म से लेकर किशोरावस्था के अंत तक उनमें होने वाले जैविक और मनोविज्ञानिक परिवर्तनों को कहते है, जब वे धीरे धीरे निर्भरता से और अधिक स्वयत्ता की ओर बढ़ते है। चूंकि जन्म से पहले के जीवन के दौरान आनुवंशिक कारकों और घटनाओं से प्रभावित हो सकते हैं । इसलिए आनुवांशिकी और जन्म पूर्व विकास को आमतौर पर बच्चे के विकास के अध्ययन के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है। संबंधित शब्दों में जीवनकाल के दौरान होने वाले विकास को संदर्भित करने वाला विकासात्मक मनोविज्ञान और बच्चे की देखभाल से संबंधित चिकित्सा की शाखा बाल रोग विज्ञान शामिल हैं। विकासात्मक परिवर्तन, परिपक्वता के नाम से जानी जाने वाली आनुवंशिक रूप से नियंत्रित प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप हो सकता है, लेकिन आम तौर पर ज्यादातर परिवर्तनों में दोनों के बीच का पारस्परिक संबध शामिल होता हैं व्यक्ति का विकास एवं वृद्धि कुछ निश्चित सिद्धांतों एवं नियमों के अनुसार ही होता है।